संघ लोक सेवा आयोग के साथ परामर्श :-
का0 एवं प्र0 विभाग के दिनांक 3 अक्तूबर 1989 के का0ज्ञा0 सं0 एबी 14017/71/89-स्था0 (भर्ती नियम) पैरा 3 में निम्नानुसार प्रावधान है :-
“3.1 जब केन्द्र सरकार के केवल समूह ‘क’ के अधिकारी के लिए समूह ‘क’ पद के लिए प्रतिनियुक्ति के संबंध में, संघ लोक सेवा आयोग के साथ पूर्व परामर्श अधिकारी के चयन के लिए आवश्यकता नहीं है । विचारार्थ क्षेत्र, के अंतर्गत राज्य सरकार के अधिकारी भी शामिल हो राज्य सरकार के अधिकारी की नियुक्ति से पूर्व आयोग के साथ पूर्व परामर्श आवश्यक है । जब विचार का क्षेत्र और व्यापक आधार वाला बनाया गया है और इसमें न केवल केन्द्र/राज्य सरकार के अधिकारियों बल्कि गैर सरकारी संस्थानों के अधिकारियों को भी शामिल किया गया है तो चयन सदैव संघ लोक सेवा आयोग के साथ परमर्श से किया जाए ।
3.2 संघ लोक सेवा आयोग केन्द्र सरकार के समूह ‘ख’ अधिकारियों की समूह ‘क’ के पद पर प्रतिनियुक्ति पर नियुक्ति के लिए परामर्ष किया जाना होता है ।
3.3 जब समूह ‘क’ या समूह ‘ख’ पद अर्थात बाहरी उम्मीदवार के साथ-साथ विचार किए जाने वाले विभागीय उम्मीदवार हेतु भर्ती के लिए ‘संयुक्त पद्वति’ निर्धारित की गई है, चयन केवल आयोग द्वारा ही किया जाएगा ।
सदृश पद
केन्द्र सरकार के अधीन सदृश पद के रूप में माने जा सकने वाले पद के निर्धारण के लिए का0 एवं प्र0 विभाग के का0ज्ञा0 दिनांक 3 अक्तूबर 1989 में निम्नलिखित मानदण्ड रखे गए है:-
जहाँ पदोन्नति ऐसे पदों को भरने की एक पद्वति है, वहाँ अन्य विभागों से केवल वही व्यक्ति प्रतिनियुक्ति पर लिए जाएं जिनकी योग्यता एवं अनुभव उस फीडर ग्रेड/पद जिसके लिए पदोन्नति की गई है, के लिए सीधी भर्ती के लिए निर्धारित किए गए है, के तुलनीय हों ।
(v) जहाँ तक राज्य सरकार/सार्वजनिक उपक्रमों आदि के तहत पदों का संबंध है, इस बात की पूरी सम्भावना है कि समान पदनाम वाले पदों का वेतनमान एक सा हो और वे वेतन के साथ मंहगाई भत्ता के विलय के विस्तार और स्तर के संबंध भिन्न हो सकते हैं । पदानुक्रम के स्तर और कार्यों की प्रकृति भी एक समान नहीं हो सकती । इन पदों को चार समूहों में वर्गीकृत नहीं किया जा सकता जैसा कि केन्द्र सरकार के अन्तर्गत किया गया है । इन तथ्यों पर विचार करते हुए , चयन प्राधिकारियों को उम्मीदवारों द्वारा उनके मूल संगठनों में किए गए कार्यों की प्रकृति ठीक उसी प्रकार चयनाधीन पदों से अधिक प्रभावित होना चाहिए अपेक्षाकृत केन्द्र सरकार की सेवा में बाहर से प्रतिनियुक्ति (अल्पकालीन संविदा सहित) द्वारा नियुक्ति के लिए किए जा रहे चयन हेतु, केन्द्र सरकार के अधीन पद के लिए अपेक्षित नियुक्ति हेतु योग्यताएं एवं अनुभव है । राज्य सरकार/सार्वजनिक उपक्रमों आदि, के अधीन पदों हेतु भर्ती नियमों का विवरण अभी उपलब्ध नहीं है, अधिकारियों द्वारा स्वयं हस्ताक्षरित बॉयोडाटा सीट और उसका शैक्षिक अनुभव, पूर्व में किए गए कार्य, अनुसंधान के क्षेत्र में उसके द्वारा दिया गया योगदान, उसके अपने प्रकाशित कार्य और कोई अन्य सूचना जिसे इस संबंध में अधिकारी पद के लिए उसकी उपयुक्त के आकलन में विचारार्थ समझता हो, सहित उनके नियोक्ता द्वारा प्रमाणित/प्रतिहस्ताक्षरित हो ।
पात्रता के निर्धारण के लिए निर्णायक तारीख
कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के दिनांक 3.10.1989 के पैरा 6 के अनुसार, पात्रता के निर्धारण के लिए निर्णायक तारीख निम्नानुसार होगी :-
प्रतिनियुक्ति द्वारा नियुक्ति के लिए सीधी पदोन्नति में अधिकारियों की अपात्रता
कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभग के दिनांक 3.10.1989 के कार्यालय ज्ञापन में प्रावधान है कि फीडर संवर्ग में विभागीय अधिकारी, जो अधिसूचित भर्ती नियमों में प्रावधानों के अनुसार, सीधे पदोन्नति में है उन पर प्रतिनियुक्ति द्वारा नियुक्ति के लिए विचार नहीं किया जाए । इसी प्रकार, प्रतिनियुक्ति पर व्यक्ति पदोन्नति द्वारा नियुक्ति पर विचार किए जाने के लिए पात्र नहीं है ।
प्रतिनियुक्ति की अवधि का विस्तारण
कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के दिनांक 3.10.1989 के कार्यालय ज्ञापन के पैरा 9 के अनुसार, अधिकारी की प्रतिनियुक्ति की अवधि, उन पदों को छोड़इकर जहाँ भर्ती नियमों में कार्यकाल की लम्बी अवधि निर्धारित है, सभी मामलों में अधिकतम 3 वर्ष होगी । इसके आगे, यह भी प्रावधान है कि प्रशासनिक मंत्रालय किन्हीं मामलों में जहाँ जनहित में ऐसे विस्तारण पर विचार आवष्यक है मंत्रालय के सचिव का आदेष प्राप्त करने के पश्चात, तीन वर्ष की सीमा के पश्चात एक वर्ष की अवधि तक के लिए प्रतिनियुक्ति में विस्तार की अनुमति दे सकता है ।
प्रतिनियुक्ति पर लेने वाले मंत्रालय/विभाग भी निम्नलिखित शर्तों पर जहाँ बहुत आवष्यक हो तो, भर्ती नियमों में निर्धारित अवधि से 5 वर्ष या 2 वर्ष अधिक के लिए प्रतिनियुक्ति की अवधि का विस्तार कर सकता है:-
विलयन आधार पर एक अधिकारी की नियुक्ति के लिए प्रक्रिया :-
आमेलन के मामले नीचे दिए गए अनुसार श्रेणी किए जा सकते है:-
(क) जहाँ प्रतिनियुक्ति द्वारा आमेलन आधार पर नियुक्ति के लिए भर्ती नियम तैयार किए गए है और प्रस्ताव प्रतिनियुक्ति आधार पर पहले से ही चयनित और नियुक्त अधिकारी को केवल विलयित करने का है ।
(ख) जहाँ भर्ती नियम संबंधित अधिकारी के प्रारंभिक चयन के समय केवल प्रतिनियुक्ति के लिए तैयार किए गए हैं लेकिन आमेलन को शामिल करने के लिए बार में संशोधन कर दिया गया है।
जहाँ तक उपर्युक्त (क) में दिए गए अनुसार श्रेणी में आने वाले मामलों का संबंध है, आयोग केवल उन्हीं मामलों में आमेलन प्रस्तावों पर विचार करेगा जिनमें निम्नलिखित शर्तें पूरी होती हों:-
उपर्युक्त (ख) में श्रेणी के अंतर्गत आने वाले मामले में यथा, जहाँ प्रतिनियुक्ति पर किसी व्यक्ति के चयन के पश्चात, नियमों में आमेलन, का प्रावधान है, मंत्रालयों/विभागों से अपेक्षा है कि पद को पुन: परिचालित करते समय स्पष्ट रूप से दर्शाए कि ‘आमेलन’ भर्ती का ही एक तरीका है और तभी आयोग को संदर्भ भेजें । ऐसे परिपत्र उस मामले की अन्य श्रेणी में भी आवश्यक है जिसमें यदि प्रतिनियुक्ति के लिए नामांकन हेतु भेजे गए मूल परिपत्र में, उपर्युक्त (iv)के अनुसार, स्थायी आमेलन की संभावना को स्पष्ट रूप से दर्शाया नहीं गया हो ।
आरक्षित सूची का प्रचालन
संघ लोक सेवा आयोग, जहाँ तक संभव है, प्रतिनियुक्ति/आमेलन आधार पर नियुक्ति के लिए उनके द्वारा किए गए चयन के आधार पर उपयुक्त पाए गए उम्मीदवारों का आरक्षण पैनल तैयार करता है और संबंधित प्रशासनिक मंत्रालय/विभाग से प्राप्त अनुरोध पर आयोग द्वारा आरक्षण पैनल प्रचालित किया जाता है । का0 एवं प्र0 विभाग ने अपने दिनांक 13 जून 2000 के का0 ज्ञा0 सं0 41019/18/97-स्था0 (ख) में निर्णय लिया है कि जहाँ संघ लोक सेवा आयोग के माध्यम से चयन किया गया है, आरक्षण सूची से नामांकन के लिए अनुरोध यदि कोई है, संघ लोक सेवा आयोग को उसी स्थिति में किया जाएं जब पद पर कार्यभार ग्रहण किए जाने के लिए अनुमेय निश्चित समय के भीतर उम्मीदवार द्वारा कार्यभार ग्रहण न किए जाने के कारण रिक्ति हुई हो या उम्मीदवार ने कार्यभार ग्रहण तो किया हो लेकिन इस्तीफा दे दिया हो या कार्यभार ग्रहण करने की तारीख से एक वर्ष की अवधि के भीतर उम्मीदवार की मृत्यु हो गई हो । यदि उनके द्वारा नया पैनल उपलब्ध नही कराया गया है तो ऐसी रिक्ति को नई रिक्ति नहीं माना जाना चाहिए । यह भी निर्णय लिया गया कि सामान्य परिस्थितियों के अंतर्गत, आयोग द्वारा पैनल के अनुमोदन की तारीख से 18 माह तक आरक्षित सूची प्रचालित की जाएगी जिसे विशेष मामलों में 2 वर्षों तक बढ़ाया जा सकता है ।
प्रतिनियुक्ति (अल्पावधि संविदा सहित)/आमेलन आधार नियुक्ति के मामले में आयु सीमा
कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के दिनांक 17 नवम्बर 1992 के का0 ज्ञा0 सं0 14017/48/92-स्था0- (आर-आर) के अनुपालन में, प्रतिनियुक्ति (अल्पावधि संविदा सहित) और आमेलन द्वारा नियुक्ति के लिए अधिकतम आयु आवेदन की प्राप्ति की अंतिम तारीख को 56 वर्ष से अधिक न हो ।
सिविल पदों में प्रतिनियुक्ति/पुनर्नियोजन पर नियुक्ति के सशस्त्र बल कार्मिकों की पात्रता
कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के दिनांक 12 अगस्त 1992 के का0 ज्ञा0 सं0ए0बी0 14017/61/92-स्था0-(आर-आर) के अनुसार, सेवानिवृत्ति के कारण या एक वर्ष की अवधि के भीतर रिजर्व में स्थानातरित होने वाले और निर्धारित अपेक्षित अनुभव एवं योग्यताएं रखने वाले सशस्त्र बल कार्मिक भी प्रतिनियुक्ति/पुनर्नियोजन आधार पर नियुक्ति हेतु विचार के लिए पात्र होंगे बशर्तें, ऐसा प्रावधान सांविधिक भर्ती नियमों में किया गया हो । ऐसे व्यक्ति को प्रतिनियुक्ति उस तारीख तक दी जाएगी जब तक उसका सशस्त्र बल से सेवा मुक्त होना शेष है उसके पश्चात वे पुनर्नियोजन आधार पर सेवाएं जारी रख सकते हैं ।
अधिकारियों के आवेदन पत्रों को संबंधित मंत्रालयों/विभागों/प्रशासनों द्वारा कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के दिनांक 14/07/1993 के कार्यालय ज्ञापन सं. 14017/101/91-स्था. (आर.आर.) तथा दिनांक 14/12/2007 के कार्यालय ज्ञापन सं. 11012/11/2007- स्था. (ए) के तहत जारी अनुदेशों/दिशानिर्देशो के अनुसार अग्रेषित किया जाना चाहिए।