जब किसी संवर्ग के बाहर के अधिकारी या पदोन्नति के सीधे क्रम के बाहर से किसी अधिकारी की सीमित अवधि के लिए नियुक्ति की जाती है, जिसके समाप्त होने पर उन्हें अपने मूल संवर्ग में वापस जाना पड़ेगा तो उसे प्रतिनियुक्ति पर या अल्प अवधि संविदा पर माना जाता है। अल्प अवधि संविदा को भी प्रतिनियुक्ति की प्रकृति में ही माना जाता है और इस पद्धति का अनुसरण तब किया जाता है जब किसी गैर सरकारी संगठन जैसे विश्वविद्यालयों, मान्यता प्राप्त शोध संस्थानों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों आदि के उपयुक्त अधिकारियों की शिक्षण, शोध, वैज्ञानिक या तकनीकी पदों पर नियुक्ति के लिए अवश्यकता होती है।
जब संवर्ग के बाहर कार्यरत किसी अधिकारी या पदोन्नति की सीधी पंक्ति के बाहर के किसी अधिकारी को पद/ग्रेड में नियमित रूप से विलय कर दिया जाता है तो इस पद को विलय की पद्धति से भरा हुआ माना जाता है।
उन मामलों में जहां पदोन्नति के क्षेत्र में केवल एक पद है, भर्ती की पद्धति में प्रतिनियुक्ति (अल्प अवधि संविदा सहित) /पदोन्नति का निर्धारण किया जाता है जिससे कि प्रतिनियुक्ति आधार पर नियुक्ति के लिए बाहर से आवेदन करने वाले उम्मीदवारों के साथ-साथ विभागीय अधिकारी, जो फीडर पद पर कार्यरत हैं, के विषय में भी विचार किया जा सके। इस पद्धति को संयुक्त पद्धति (कम्पोजिट मैथड) के रूप में जाना जाता है । यदि विभागीय उम्मीदवार का पद के लिए चयन कर लिया जाता है तो पद को पदोन्नति आधार पर भरा गया माना जाता है अन्यथा पद को प्रतिनियुक्ति संविदा की निधारित अवधि के लिए प्रतिनियुक्ति/संविदा आधार पर भरा जाता है जिसके समाप्त होने पर विभागीय अधिकारी के नाम पर पुन: विचार किए जाने का अवसर प्रदान किया जाता है।
प्रतिनियुक्ति प्रस्तावों के मुख्य पहलू
प्रतिनियुक्ति प्रस्ताव भेजा जाना : मंत्रालयों के लिए दिशानिर्देश
संघ लोक सेवा आयोग में प्रतिनियुक्ति प्रस्तावों की प्राप्ति की प्रक्रिया
विभागीय पदोन्नति समिति प्रस्ताावों के संबंध में कमियों के पत्रों के नमूने