अनुशासनिक एवं अपील मामले शाखा निम्नलिखित प्रकार के अनुशासनिक मामलों को देखती है :-
जिनमें माननीय राष्ट्रपति निर्धारित शास्तियों में से किसी एक को अधिरोपित किए जाने का मूल आदेश पारित किए जाने का प्रस्ताव रखते हैं ।
जिनमें एक अधीनस्थ प्राधिकारी द्वारा शास्ति अधिरोपित किए जाने के आदेश के विरूद्ध दायर अपील पर माननीय राष्ट्रपति द्वारा आदेश दिया जाना होता है ।
जिनमें माननीय राष्ट्रपति किसी याचिका या अभ्यावेदन या अन्यथा रूप से विचार करने के बाद उनके अथवा किसी अधीनस्थ प्राधिकारी द्वारा शास्ति अधिरोपित किए जाने के आदेश को अस्वीकृत या संशोधित किए जाने का प्रस्ताव रखते हैं ।
जिनमें माननीय राष्ट्रपति ऐसे मामलों में जिनमें कोई शास्ति अधिरोपित नहीं की गई है, समीक्षा किए जाने के अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए निर्धारित शास्तियों में से किसी एक को अधिरोपित किए जाने का प्रस्ताव रखते हैं ।
संघ लोक सेवा आयोग से परामर्श प्रथमत: सेवाओं को यह आश्वासन देने के लिए किया जाता है कि एक पूर्णत: स्वतंत्र निकाय ने, जो लोक सेवक को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करने वाले आदेश से सीधे-सीधे संबंधित नहीं है, एक विशिष्ट लोक सेवक के विरूद्ध की जाने वाली कार्रवाई पर खुले मन से विचार किया है और दूसरे, लोक सेवकों के मनोबल पर अत्यधिक रूप से असर डालने वाले मामलों पर सरकार को निष्पक्ष परामर्श और मंतव्य प्रदान किया है ।
अखिल भारतीय सेवाओं से संबंधित अधिकारियों के संबंध में मामलों का परीक्षण अखिल भारतीय सेवा (अनुशासन एवं अपील) नियमावली, 1969 और इसके तहत जारी अनुदेशों के आलोक में किया जाता है । इन नियमों में अन्य बातों के साथ-साथ राज्य सरकार और केन्द्र सरकार दोनों के द्वारा आयोग का परामर्श लिए जाने का प्रावधान है ।